जशपुर. 16 सिंतबर.(रमेश शर्मा)
जशपुर वन मंडल के तपकरा वन परिक्षेत्र में एक पखवाड़े से विचरण कर रहा 15 हाथियों का दल अपने नन्हे शावक को अकेला छोड़ कर अब पड़ोसी राज्य झारखंड जा पहुंचा है.अपने नन्हे शावक के प्रति हाथियों का इस बेरूखा व्यवहार को देखकर वन्य प्राणी विशेषज्ञ भी आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं.
जशपुर वन मंडल में हाथी शावक के बीछड़ने का मामला को लेकर आज वन मंत्री मो.अकबर ने भी विस्तृत जानकारी लेकर शावक को उसकी मॉं से मिलवाने की खातिर कड़े निर्देश दिए हैं.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि जशपुर वन मंडल अधिकारी जितेन्द्र उपाध्याय ने अपने अधिकार और कर्मचारियों की टीम के साथ स्वतः जंगलों की खाक छान कर इस शावक को उसके दल से मिलाने के लिए लगातार वैज्ञानिक प्रयास करते रहे हैं लेकिन बीछड़े हुए शावक को हर बार हाथियों के दल ने कुछ घंटों के बाद अस्वीकार कर दिया गया.
इसी वजह शावक हाथी बार बार कोतेबीरा जंगल से 3 कि.मी.दूर समडमा गांव का रूख कर लेता था.
इस नन्हे शावक को मिलाने की कई कोशिशों के बाद भी हाथियों ने उसे स्वीकार नहीं करने पर अब वन विभाग के सामने नन्हे शावक का पालन पोषण करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है .
दो दिन से वन विभाग के प्रशिक्षित महावतों का दल ने भी कोतेबीरा जंगल मे विचरण कर रहा हाथियों का दल के साथ मिलाने के लिए कई बार प्रयास किया गया लेकिन नन्हा शावक को स्वीकार ही नहीं किया गया.
15 हाथियों का दल अब जशपुर वन मंडल के निकलकर पड़ोसी झारखंड राज्य चले जाने से वन कर्मचारियों ने इस शावक को लवाकेरा वन विश्राम गृह में लाया गया है.
यंहा फिलहाल चिकित्सकों की बड़ी टीम वन विभाग के महावत इस शावक की देखरेख के लिए दिशा निर्देश कर रहे हैं. वन विभाग के उच्च अधिकारी भी इस मामले में पल पल की रिपोर्ट ले रहे हैं.










