spot_img
Thursday, July 10, 2025

कांग्रेस बनाम भाजपा: कोयला खदान विवाद की असल तस्वीर

spot_img
Must Read

रायगढ़, छत्तीसगढ़02 जुलाई 2025 / हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकारों को घेरने के लिए एक रणनीतिक मोर्चा खोला है। विवाद का केंद्र बना है रायगढ़ जिले में स्थित एक कोयला खदान परियोजना, जो अब राजनीतिक बहस का प्रमुख विषय बन चुकी है।

इस परियोजना से जुड़ी कोयला खदान महाराष्ट्र की सरकारी बिजली कंपनी महाजेनको को आवंटित की गई है। इसका उद्देश्य राज्य के करोड़ों उपभोक्ताओं और उद्योगों की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस अब इस परियोजना का विरोध कर रही है—जबकि सत्ता में रहते हुए, उसी ने इस परियोजना को आगे बढ़ाया था।

समयरेखा पर एक नजर:

*सितंबर 2019:* कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ सरकार के दौरान इस परियोजना के लिए सार्वजनिक जनसुनवाई आयोजित की गई।
*अक्टूबर 2019:* भूपेश बघेल सरकार ने पर्यावरणीय मंजूरी हेतु इस परियोजना की सिफारिश की।
*2022 और आगे:* इन्हीं सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार ने परियोजना को आवश्यक पर्यावरणीय और वैधानिक स्वीकृतियाँ प्रदान कीं।

स्पष्ट है कि इस परियोजना को सभी प्रमुख मंजूरियाँ कांग्रेस शासनकाल में ही प्राप्त हुईं। लेकिन अब जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है, कांग्रेस ने अपना रुख पलट लिया है।

विरोध का कारण?

कांग्रेस का यह विरोध एक रणनीतिक राजनीतिक दांव प्रतीत होता है। कोयला उत्पादन में देरी कर महाराष्ट्र की भाजपा सरकार पर दबाव बनाना—जो बिजली संकट से जूझ रही है—इसका एक प्रमुख उद्देश्य हो सकता है। साथ ही, यह छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे “डबल इंजन” शासन मॉडल की प्रभावशीलता पर सवाल उठे।

यह कांग्रेस को मीडिया में सुर्खियाँ बटोरने और जनमत को प्रभावित करने का अवसर देता है—भले ही उसने स्वयं इस परियोजना को मंजूरी दी हो। यह एक क्लासिक राजनीतिक रणनीति है: सत्ता में रहते हुए समर्थन, और विपक्ष में रहते हुए विरोध।

परियोजना के लाभ और देरी से संभावित नुकसान

यदि महाजेनको को समय पर खनन कार्य शुरू करने की अनुमति मिलती है, तो:

– महाराष्ट्र के लाखों उपभोक्ताओं को सस्ती और स्थिर बिजली मिल सकती है।
– रायगढ़ क्षेत्र में हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं।
– छत्तीसगढ़ सरकार को महाजेनको से सैकड़ों करोड़ रुपये के टैक्स राजस्व की प्राप्ति हो सकती है।

वहीं, यदि परियोजना में देरी होती है, तो:

– बिजली की लागत में वृद्धि हो सकती है।
– औद्योगिक विकास की गति धीमी पड़ सकती है।
– छत्तीसगढ़ को संभावित राजस्व हानि हो सकती है।

अब सवाल यह है:

क्या भाजपा कांग्रेस के इस विरोध को यूँ ही चलने देगी, या तथ्यों के साथ जवाब देकर जनमानस को सच्चाई से अवगत कराएगी?

यह विवाद केवल कोयले की खदान का नहीं है- यह सत्ता, राजनीति और जनधारणा की लड़ाई है।

spot_img
spot_img
spot_img
IMG-20250627-WA0027
IMG-20250627-WA0035
IMG-20250627-WA0033
IMG-20250627-WA0034
IMG-20250627-WA0032
IMG-20250627-WA0029
IMG-20250627-WA0017
IMG-20250627-WA0023
Ad New JPL TAmnar
IMG-20250627-WA0018
IMG-20250627-WA0038
IMG-20250627-WA0024
IMG-20250627-WA0022
IMG-20250627-WA0031
IMG-20250627-WA0039
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
Latest News

नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगाने वाला आरोपी साल्हेओना से गिरफ्तार, पॉक्सो एक्ट के तहत भेजा गया रिमांड पर

9 जुलाई, 2025 रायगढ़- थाना कोतरारोड़ क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर बहला-फुसलाकर भगाने के...

More Articles Like This

error: Content is protected !!