रायगढ़। भाजपा नेता गुरुपाल भल्ला ने विधायक प्रकाश नायक की पोल खोलते हुए उन्हें भाजपा शासनकाल में स्वीकृत कार्य का श्रेय लेने से बाज आने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि कोतरा रोड ओवर ब्रिज को लेकर प्रकाश नायक द्वारा किए जा रहे दावे की कलई खुद राज्य शासन के पी डब्लू डी विभाग ने ही खोल दी है। लोक निर्माण विभाग के सेतु निर्माण संभाग रायगढ़ ने कोतरा रोड ओवर ब्रिज पर जो बोर्ड लगाया है उसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख है उक्त ओवर ब्रिज को जब प्रशासकीय स्वीकृति मिली जब प्रकाश नायक विधायक थे ही नहीं
गुरुपाल भल्ला ने कोतरा रोड ओवरब्रिज लग रहे सरकारी बोर्ड की तस्वीरें मीडिया को उपलब्ध कराते हुए बताया कि कोतरा रोड रेलवे
ओवर ब्रिज के लिए 80202 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति 28 मार्च 2018 को ही मिल गई थी जबकि प्रकाश नायक ग्यारह दिसंबर 2018 में विधायक बने। गुरुपाल भल्ला ने सवाल किया है कि विधायक बनने के 9 महीने पहले ही प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त कर चुके कोतरारोड ओवरब्रिज का श्रेय प्रकाश नायक आखिर किस हक से ले रहे है ?
गुरुपाल भल्ला ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्र में दस साल तक कांग्रेस की सरकार रही तब संसद में तात्कालिक सांसद विष्णुदेव साय द्वारा लगातार इस ब्रिज की मांग की गई मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। मोदी सरकार आने के बाद श्री साय और तात्कालिक विधायक स्व श्री रोशन अग्रवाल संयुक्त रूप से कई विकास कार्यों के विषय को लेकर
तात्कालिक मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के पास गए और राज्य शासन की तरफ से यह प्रस्ताव केंद्र को भिजवाया जिस पर केंद्र ने सहमति दी। रमन सरकार द्वारा तैयार ड्राइंग डिजाइन के आधार पर ही ब्रिज को 28 मार्च 2018 को प्रशासकीय स्वीकृति मिली। तब प्रकाश नानक नही स्व रोशन अग्रवाल जी विधायक थे। गुरुपाल भल्ला ने कहा कि प्रकाश नायक को अपनी याददाश्त दुरुस्त करने की जरूरत है । उन्हे यह याद रखना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में 18 सीटों के लिए पहला मतदान 12 नवंबर 2018 को आयोजित किया गया था, और दूसरा 72 सीटों के लिए 20 नवंबर 2018 को आयोजित किया गया था और मतगणना 11 दिसंबर 2018 को थी। अर्थात उनके विधायक बनने के 9 महीने पहले ही कोतरा रोड ओवर ब्रिज को प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी थी।
यह भी तथ्य है कि 28 मार्च 2018 में जब कोतरा रोड रेलवे ओवर ब्रिज की प्रशासकीय स्वीकृति मिली उसी तारीख को जयराम नगर, उरकुरा, और कोरबा स्थित उरगा में भी ओवर ब्रिज को मोदी सरकार ने प्रशासकीय स्वीकृति दी थी।
गुरुपाल भल्ला ने कहा कि स्वीकृति के बाद भी काम चालू करवा पाने में नाकाम विधायक प्रकाश नायक केवल शिलान्यास को ही अपनी उपलब्धि मान बैठे और काम शुरू करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । लेट लतीफी के मामले को लेकर सांसद गोमती साय को संसद में बात रखनी पड़ी। गुरुपाल भल्ला ने कहा कि ये वही प्रकाश नायक हैं जिन्होंने सरकारी शिलान्यास कार्यक्रम में सांसद गोमती साय को आमंत्रित करने से भी परहेज किया और अब उनकी कोशिश है कि लोकार्पण कार्यक्रम में भी महिला सांसद की उपेक्षा की जाय। उन्होंने कहा कि प्रकाश नायक चाहे जितनी कोशिश कर लें पर उनके विधायकी के काठ की हांडी दुबारा चढ़ने वाली नही है। जनता उनकी शून्य उपलब्धि का करारा ज़बाब देगी।