रायगढ़ / धान आवक का सीजन शुरू होते ही भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर है। एक तरफ सभी धान मंडियों में धान खरीदी का कार्य जोरो शोरो से शुरू कर दिया गया है। तो वहीं दूसरी तरफ धान को कूटने के बाद बायो प्रोडक्ट से निकलने वाले भूसा और कनकी के रूप में प्राप्त होता है। इन दोनों चीजों का कारोबार भी पिछले कुछ सालों में जोर पकड़ा है। खाद्य तेल के लिए भी इसकी डिमांड काफी होती है। राइस मिलर जिले के बाहर इसकी सप्लाई करते हैं। जहां यह खेल पूरा करोड़ों का है। और खुलेआम राज्य सरकार को चूना लगाया जा रहा है।
गौरतलब हो कि कस्टम मिलिंग में भी लगातार घपले हो रहे हैं जिसमें सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खाद्य विभाग की बड़ी संलिप्तता देखी जा रही है राइस मिलर ही धान मंडी को चला रहे हैं। धान मंडी के अधिकारी कर्मचारी मूकबधिर हो गए हैं।
इन दिनों राइस मिलरो को केवल सरकारी धान की मीलिंग करनी होती है। कई मिलर सरकारी चावल को जाम करने के बजाय फ्री सेल कर रहे है। राज्य सरकार राइस मिलों को इसी शर्त पर अनुमति देती है कि वह पहले सरकारी धान की मिलिग करेगा, कोचियों और किसानों से अतिरिक्त धान की खरीद कर मिलींग की जा रही है। कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं।










