विश्व कल्याण और शांति का मार्ग बताता है अलेख महिमा-सुरेंद सिदार
अवधूत श्री वीरेंद्र बाबा का दर्शन करने उमड़ा जनसैलाब
रायगढ़ / छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के बॉर्डर में स्थित ग्राम हमीरपुर में विश्वशांति एवं कल्याण को लेकर अलेख महिमा संतो द्वारा तीन दिवसीय यज्ञ का आयोजन क्षेत्र के जनप्रतिनिधि जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र सिदार के अध्यक्षता में गरिमामई पूर्ण संपन्न हुआ उक्त यज्ञ अनुष्ठान हेतु आलेख महिमा आश्रम से वरिष्ठ गुरु अवधूत श्री वीरेंद्र बाबा का आगमन समस्त क्षेत्रवासियों के लिए श्रद्धा और गर्व का विषय रहा।कार्यक्रम दौरान पूर्व विधायक विजय अग्रवाल जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष विद्यावती कुंज बिहारी सिदार,गोकुल पटनायक,प्रसिद्ध लोकगायक दीपक आचार्य,स्थानीय कवि एवं जनप्रतिनिधि तथा लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे।
विदित हो कि विगत 16 वर्षों से छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के बॉर्डर पर स्थित ग्राम हमीरपुर में सप्तमी एवं अष्टमी की तिथि पर अलेख महिमा गुरु संतो के द्वारा विश्व शांति और कल्याण को लेकर विशाल आयोजन किया जाता है इस आयोजन मैं इस वर्ष जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र सिदार की अध्यक्षता में विशाल यज्ञ स्थल पर यज्ञ एवं 21 दीपों का दीपक जलाया गया वही कीर्तन भजन भंडारा आदि विविध कार्यक्रमों के साथ श्रद्धालुओं के लिए समुचित व्यवस्था कर कार्यक्रम को गरिमामयी पूर्ण कर संपन्न कराया गया
तीन दिवसीय कार्यक्रम अंतर्गत रायगढ़ विधानसभा के पूर्व विधायक विजय अग्रवाल भी अवधूत संत श्री वीरेंद्र बाबा का दर्शन करने पहुंचे और आशीर्वाद लेकर क्षेत्रवासियों को सफल कार्यक्रम की बधाई दी। कोई कार्यक्रम में उपस्थित जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण महिला अध्यक्ष विद्यावती कुंजबिहारी सुधार ने भी अवधूत बाबा का दर्शन कर आशीर्वाद लिया और क्षेत्रवासियों के सुख शांति समृद्धि हेतु कामना की।
यज्ञ आयोजन के अध्यक्ष जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र सिदार ने बताया कि यह आयोजन विगत 16 वर्षों से गरिमा मेयी पूर्ण किया जा रहा है सप्तमी अष्टमी की तिथि में यज्ञ आलेख महिमा के समस्त संतो के द्वारा किया जाता है छत्तीसगढ़ उड़ीसा में आलेख महिमा के हजारों अनुयाई है जिनकी आस्था और विश्वास के साथ उनकी उपस्थिति ही इस कार्यक्रम को सफल बनाती है अवधूत श्री वीरेंद्र बाबा वरिष्ठ संत हैं और उनके साथ सैकड़ों शिष्य हैं इनकी दिनचर्या सुबह भोर में उठना और शाम सूर्यास्त से पहले भोजन कर शयन पर चले जाना है वही यह संत किसी एक ही स्थान पर नहीं रहते प्रतिदिन अपना बसेरा बदलते हैं।
यह हमारा सौभाग्य है कि हम इन संतों के साथ 3 दिन धार्मिक अनुष्ठान में शामिल रहते हैं।