रायगढ़ /
महाप्रभु अपने निज धाम वापस आये
महाप्रभु जगन्नाथ एकमात्र ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों को दर्शन देने वर्ष में एक बार स्वयं मंदिर के बाहर आते हैं और भगवान इन नौ दिनों तक मौशी गुंडिचा के यहां रहते हैं। दशमी के दिन पुनः महाप्रभु रथ में वापस अपने श्री मंदिर को आते हैं। इस मंदिर को श्री मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां की स्वामिनी महालक्ष्मी होती हैं ।आज दशमी को जिसे बाहुडा रथयात्रा के नाम से भी जाना जाता है , भगवान मौशी घर से संध्या 5 बजे निकल कर रथारूढ हुए। गांजा चौक स्थित मौशी घर से पूरे भजन कीर्तन मंडली के साथ शंखनाद करते हुए डा प्रकाश मिश्रा, डॉ लोकेश षड़ंगी, विनायक षड़ंगी,देवेश षड़ंगी, सुरेन्द्र पांडे, नारायण प्रसाद मिश्रा ,पं ब्रजेश्वर मिश्रा,सुदाम पंडा आदि लोगों ने पूर्ण भक्ति और श्रद्धा भाव से भगवान को लाकर रथारुढ कराया , इनके साथ लोगों की भारी भीड भी भगवान को अपने नेत्रों से देखने के लिए उमड पड़ी थी। संध्या 8 बजे भगवान का यह पवित्र रथ अपने श्री मंदिर वापस आ गया एवं भगवान को मंदिर के गर्भगृह के बाहर मंडप में
विराजमान किया गया जहां कल संध्या 7 बजे देवशयनी एकादशी को भगवान को उनके पूर्ण अलंकारों एवं आयुधों के साथ सुसज्जित कराया जायेगा। यह दुर्लभ दर्शन वर्ष में सिर्फ एक बार ही मिलता है। इसके साथ ही बहुत ही सुन्दर ओडिसी कलाकारों द्वारा नृत्य नाटिका का मंचन भी किया जायेगा। तत्पश्चात भगवान अपने शयन हेतु गर्भगृह में आ जायेंगे। चार माह तक शयन के समय सभी शुभ कार्यों पर भी विराम लग जाएगा।










