रायगढ। वैसे तो निकाय व पंचायत चुनावों का उद्देश्य लोगों को जमीनी स्तर पर लोकतंत्र का हिस्सा बनाना है , लेकिन धनबल और बाहुबल ने इस उद्देश्य को स्वार्थपूर्ती और तानाशाही की ओर मोड दिया है। जनसेवा की भावना से राजनीति मे उतरे बहुआयामी और मेहनती चेहरों को मात देने चेहरे पर चेहरे लगाए कई तरह के लोग निष्पक्ष चुनाव और जनादेश को बदलने की हसरत पाले ढेरों षडयंत्र रच रहे हैं। ऐसा ही हाल घरघोडा नगर पंचायत के वार्ड 10 का है। इस वार्ड से घर – घर के सेवक और सियासी तौर पर सुलझे स्वच्छ छवि के नेता नीरज शर्मा स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मे उतरे हैं । नीरज की दावेदारी को इस वार्ड के मतदाता हाथो हाथ समर्थन दे रहे हैं तो दूसरी तरफ नीरज के बढते जनविश्वास और राजनैतिक कद से घबराए घरघोडा के सियासी मठाधीश पर्दे के पीछे से उन्हे शिकस्त देने के ढेरों हथकंडे अपनाने से कदापि पीछे नहीं हैं। पांच साल तक वार्डवासियों की अपेक्षा के अनुरुप उनकी जरुरतों का ध्यान रख जनसेवा करते हुए नीरज शर्मा इस चुनाव में मतदाताओं से केवल प्रतिकर की इच्छा से प्रचार कर रहे हैं , किंतु घर के भेदी से लेकर मौकापरस्त सियासतदार तक सभी एकजुट होकर नीरज का हौंसला तोडने में लगे हैं। इसके बावजूद नीरज के पक्ष में बढता जनाधार से यह साफ नजर आने लगा है कि इस बार घरघोडा के वार्ड 10 से उम्मीदवार नहीं बल्कि जनता चुनाव लड रही है। विपक्ष के किसी रणनीति और प्रलोभन से ना तो मतदाताओं का मनोबल प्रभावित हो रहा है और ना ही नीरज शर्मा का। बल्कि ये कहना अधिक वाजिब होगा कि इस वार्ड में निर्दलीय उम्मीदवार जनसमर्थन की लहर पर सवार हैं। नीरज की लोकप्रियता में वृद्धि इस वार्ड से उनकी दावेदारी को पुख्ता कर रही है। इस वार्ड के लोग न केवल उनकी कार्यशैली और सक्रियता से वाकिफ हैं बल्कि उसके कद्र दान भी हैं। बहरहाल चुनाव दिलचस्प मोड पर पहुंच चुका है अब सेवा और रसूख मे से जनता किसे चुनेगी , इसका पता 15 फरवरी को मतगणना के बाद ही हो सकेगा।


















