रायगढ़ / रायगढ़ शहर औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता है एक नए रूप में लोगों को दिखाई देता है। रायगढ़ की पहचान अब कला संस्कृति में नही बड़े-बड़े उद्योगों में पहचान बनी हुई है इसी का पर्याय आज रायगढ़ की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं, उद्योगपति तो अपनी जेबों को हर वर्ष करोड़ों रूपों से गर्म कर रहे हैं लेकिन ग्रामीणों को धूल डस्ट अनेक प्रकार की बीमारियों के बीच मरने के लिए छोड़ दिए हैं। उद्योगों का विस्तारीकरण लगभग साल भर चल रहा है सन स्टील पावर प्लांट की भी विस्तारीकरण 4 जुलाई को होने जा रही है इसी क्रम में घरघोड़ा ब्लॉक के टेंडा-नवापारा क्षेत्र में विस्तारीकरण से कई गांवों प्रभावित होंगे जिसका पूरा असर अब रायगढ़ में भी देखने को मिल रहा है ग्रामीण इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं विस्तारीकरण तो एक नाम के लिए खाना पूर्ति रह गई है। कुछ दलाल गांव के भोले भाले ग्रामीणों को अपनी बातों में फंसा कर अपना काम निकलवा लेते हैं। प्लांट से निकलने वाला, धूल, डस्ट, जहरीला पानी, जहरीली गैस से लोगों का जीना मुहाल हो चुका है ऐसी कई बीमारियां लोगों को हो रही है जिसका इलाज भी नहीं है। रायगढ़ में कई सालों से यही प्रक्रिया चलते आ रही है हर वर्ष सैकड़ो की तादाद में बड़े-बड़े प्लांट का विस्तारित कारण किया जाता है। जिसका प्रभाव अब साफ तौर पर लोगों को भुगतना पड़ रहा है, प्राकृतिक से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा, गांव के ग्रामीण भी इस विस्तारीकरण का विरोध कर रहे हैं।