रायगढ़; 23 अप्रैल 2024 / पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य पर इस वर्ष के थीम ‘प्लेनेट बनाम प्लास्टिक’ पर अदाणी फाउंडेशन द्वारा 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया गया। गारे पेल्मा – 2 और 3 कॉलरी लिमिटेड के पर्यावरण विभाग के संयुक्त तत्वाधान में अदाणी फाउंडेशन द्वारा ग्राम मिलूपारा स्थित कार्यालय परिसर में सोमवार को वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया गया। वहीं पर्यावरण संरक्षण एवं जागरूकता के लिए गांव में अदाणी फाउंडेशन द्वारा संचालित नवोदय कोचिंग केंद्र में विभिन्न कार्यक्रमों जैसे चित्रकला, नारा लेखन व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पृथ्वी पर होने वाले जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग तथा इससे होने वाले नुकसान और खतरे को सचेत करते हुए इसके संरक्षण की शपथ भी दिलाई गई। जिसमें कोचिंग के 50 विद्यार्थियों तथा अदाणी ग्रुप के कर्मचारियों सहित कुल 450 लोगों ने बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर अदाणी इन्टरप्राइसेस/अदाणी नेचुरल रिसोर्सेस से श्री पवन कुमार सोमानी उपस्थित थे वहीं अध्यक्षता श्री मुकेश कुमार ने की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री पवन कुमार सोमानी ने सभी कर्मचारियों को प्लास्टिक ना इस्तेमाल करने की सलाह दी तथा पृथ्वी के संरक्षण के लिए हर समय सजग प्रयास करते रहने पर बल दिया। कार्यक्रम के अंत में आयोजित सभी प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतिभागियों के नाम घोषित किये गए। जिनमें चित्रकला में ग्राम चितवाही की महेश्वरी राठिया ने प्रथम स्थान, बिंदिया सिदार ने द्वितीय स्थान, तृतीय स्थान ग्राम सरईटोला की विद्या राठिया, और चतुर्थ स्थान ग्राम रोडोपाली की नमिता देहरी ने प्राप्त किया। जबकि नारा लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान बिंदिया सिदार ग्राम चितवाही, द्वितीय स्थान नमीना राठिया भालूमुड़ा, तृतीय स्थान लवीना राठिया ग्राम भालूमुड़ा, विद्या राठिया ग्राम सरईटोला ने प्राप्त किया। जिन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
अदाणी समूह की अदाणी फाउंडेशन द्वारा रायगढ़ जिले के तमनार और पुसौर प्रखण्ड में ग्रामीण ढांचागत विकास में किए गए प्रयास ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने, टिकाऊ प्रथा को बढ़ावा देने और पूरे अञ्चल में समावेशी विकास की एक प्रभावी पहल है। इसके साथ ही अंचल में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका विकास और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे है, जिससे क्षेत्र में औद्योगिक और संरचनात्मक ढांचागत स्थिरता को बढ़ाने में मदद तो मिल ही रही है। साथ ही इन कार्यों ने समाज में भी विभिन्न स्तरों पर लोगों को प्रभावित किया है।