रायगढ़ / जहां नर्सिंग कॉलेज की बात करें तो अब तो जगह-जगह कॉलेज खुलने लगे हैं पढ़ने वालों के जैसे बाढ़ सी आ गई है।
रायगढ़ शहर में अपेक्स हॉस्पिटल के संचालक का खुद का बीएससी नर्सिंग कॉलेज भी है जो आईएनसी कि बिना मान्यता के लगातार 2 वर्षों से संचालित है। जहां इस कॉलेज को स्टेट लेवल पर मानता तो दी गई है। लेकिन कोई छात्र राज्य से बाहर जाकर पढ़ाई या नौकरी करना चाहे तो उन्हें, इसकी अनुमति नहीं है क्योंकि जिस संस्था से उन्होंने पढ़ाई की है उसे तो मानता ही नहीं है। अभी तक नहीं मिली है। जिसमें आज की तारीख में सैकड़ो छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं, नर्सिंग कॉलेज की पढ़ाई 4 वर्ष की होती है जिसका कुल खर्च तीन से चार लाख रुपए के लगभग आता है उसके बावजूद भी कॉलेज प्रबंधन सुविधा देना मुनासिब नहीं समझता है।
हर वर्ष सीट तो बढ़ती है संसाधन नहीं..
हर वर्ष नर्सिंग कॉलेज में 10 से 20% छात्र-छात्राओं के लिए सीट बढ़ रही हैं। लेकिन पढ़ाई और प्रैक्टिकल की बात करें तो पर्याप्त संसाधन नहीं, हॉस्पिटल नहीं, ऐसे में शासकीय कॉलेजों में प्रेक्टिस के लिए उन्हें भेजा जाता है। और पढ़ाई के नाम पर लाखों रुपए उनसे वसूला जाता है।
हाईकोर्ट का निर्देश सी एन सी
हाईकोर्ट ने सी एन सी के अनुसार नर्सिंग कॉलेज को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए अनुमति तो दी है। जिले में ज्यादातर नर्सिंग कॉलेज सी एन सी की अनुमति लेकर चल रहे हैं।
इन मापदंडों पर संचालित…
सारंगढ़,जशपुर, जांजगीर चांपा के पढ़ने वाले अधिक…
रायगढ़ में अधिक संख्या में आदिवासी युवक युवतियों दूसरे जिले से भी अध्ययन करने रायगढ़ आते हैं जिन्हें किसी भी तरह नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन मिल जाए, पढ़ाई शुरू कर दी जाती है लास्ट सेमेस्टर खत्म होने के बाद जब उन्हें प्रमाण पत्र दिया जाता है भोले भाले आदिवासी छात्रों को बेवकूफ बनाया जाता है। जिसमें कई मापदंडों को दरकिनार अपने तरीके से चल रहे हैं। साथ साथ ही स्वास्थ्य विभाग को भी इन नर्सिंग कॉलेज की जानकारी तथा मॉनिटरिंग भी समय-समय पर करनी चाहिए।
सी एन सी पंडित दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी रायपुर व डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन से मान्यता लेकर लगातार 2 वर्षों से चला तो रहे हैं। यह केवल अपेक्स नर्सिंग कॉलेज का हाल नहीं कई ऐसे और भी कॉलेज है जिले में जो इसी तरीके से बेधड़क होकर संचालित किया जा रहा है। स्टूडेंटस के भविष्य के साथ खेला जा रहा है।










