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Friday, December 5, 2025

वार्ड पार्षद की उपस्थिति में मितानिनों ने किया पानी के जीवाणु परीक्षण के लिए सरल, तेज और सस्ता है-अनुपमा शाखा यादव

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रायगढ़ / वार्ड क्रमांक 14 में वार्ड पार्षद अनूपमा यादव शाखा यादव की उपस्थिति में स्वास्थ्य विभाग के मितानिनो ने पीने के पानी के जीवाणु परीक्षण के लिए H2SKIT H2S वायल (बैक्टीरियोलॉजिकल) किट पानी की माइक्रोबायोलॉजिकल गुणवत्ता की जाँच की और उनके द्वारा 1 पैक = 1 टेस्ट करके बताया गया।
H2S वायल (बैक्टीरियोलॉजिकल) किट का उपयोग पानी की सूक्ष्मजीवविज्ञानी गुणवत्ता की जाँच के लिए किया जाता है। टाइफाइड, हैजा, डायरिया और पीलिया जैसे जल जनित रोग और प्रदूषित जल आपूर्ति के कारण होते हैं। पानी की सूक्ष्मजीवविज्ञानी गुणवत्ता के परीक्षण के लिए पारंपरिक विधि के लिए एक योग्य सूक्ष्म जीवविज्ञानी, प्रयोगशाला सुविधाओं की सेवा की आवश्यकता होती है और परिणाम जानने के लिए 60 72 घंटे लगते हैं। और आगे प्रयोगशाला परीक्षण के लिए प्रति नमूना कितनी भी राशि चार्ज कर सकती है। फील्ड में ही किया गया नया विकसित स्क्रीनिंग टेस्ट इन सभी समस्याओं को दूर करता है और लागत एवं समय बहुत कम होता है।
मितानिनों ने विस्तारपूर्वक बताया कि
H2S शीशियों का पानी का परीक्षण होता है
यदि नमूने में बैक्टीरिया मौजूद हैं, तो वे हाइड्रोजन सल्फाइड का उत्पादन करते हैं, जो पानी के नमूने को काला कर देता है। उन्होंने जल परीक्षण की विधि बताई
जिसमे पेंच से ढकी बोतल में शुष्क और निर्जीवाणु मीडिया प्रदान किया जाता है जो उपयोग के लिए तैयार हैं। परीक्षण किए जाने वाले पानी को बोतल के ऊपरी स्तर के निशान तक भरें। बोतल को धीरे से हिलाएं | 5 मिनट के बाद बोतल को 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के कमरे के तापमान पर या इनक्यूबेटर में 37 डिग्री सेल्सियस या कर्डोमेटिक में 18 घंटे के लिए रखें। इनमें
निम्नलिखित परिवर्तन देखे जा सकते हैं –

  1. बोतल में पानी के रंग में कोई बदलाव नहीं / या पीले रंग में बदलाव- पानी पीने के लिए उपयुक्त है।
  2. बोतल का पानी काला हो जाता है पानी पीने योग्य नहीं होता। पानी में रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया हो सकते हैं। इसलिए पीने से पहले इसे उबालकर या क्लोरीनयुक्त करके पीना चाहिए।परीक्षण दौरान पार्षद प्रतिनिधि शाखा यादव,अंजली ठाकुर, केसर सैनी ,शारदा स्वर्णकार, लारी यादव,किरन दुबे ,रेवती दुबे गुंजा यादव अनीता चौहान सगुनाबाई उर्मिला यादव कुमारी बरेट आदि उपस्थित रहे
    एवं वार्डवासी उपस्थित रहे।
    वार्ड पार्षद अनुपमा शाखा यादव ने बताया कि यह एक फील्ड टेस्ट है, इसलिए पानी का नमूना सीधे नल से लिया जा सकता है।क्लोरीनयुक्त पानी में क्लोरीन को हटाने की जरूरत नहीं है क्योंकि बोतल की सामग्री तुरंत इसे हटा देती है। बोतल में चिह्नित लेबल के स्तर के रूप में पानी की मात्रा को गड़बड़ करने की आवश्यकता नहीं है। परीक्षण सरल, तेज और सस्ता है।परीक्षण किसी अशिक्षित व्यक्ति द्वारा भी किया जा सकता है।
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