रायगढ़। नगर पंचायत घरघोड़ा में अधोसंरचना टेंडर के लिए निकाले गए निविदा पर गैर वाजिब कार्यो को लेकर आवेदक ठेकेदार ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसमें पहले तो कोर्ट ने स्थगन आदेश दी जबकि दूसरी सुनवाई में चीफ जस्टिस की युगल बैंच ने टेंडर को ही निरस्त कर दिए। इस निरस्तीकरण से घरघोड़ा नगर पंचायत के अजब गजब कारनामे को झटका लगा है। उच्च न्यायालय के इस बड़े फैंसले पर प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
दरअसल नगर पंचायत घरघोड़ा में 7.10. 2025 को निविदा आमंत्रण की सूचना जारी की गई थी, जिस पर निविदा भरने की अंतिम तिथि 30.10.2025 तक थी। जिनमें से कुछ कार्य पूर्व से ही याचिकाकर्ता संतोष अग्रवाल को आबंटित किया गया था। जिनमें से अधिकांश कार्य उनके द्वारा पूर्ण कर लिए गए थे किंतु उस संबंध में मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर पंचायत घरघोड़ा द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा था। उसके बाद मनमाने तरीके से याचिकाकर्ता संतोष अग्रवाल को पूर्व से आबंटित कार्यों के संबंध में द्वितीय निविदा की सूचना जारी कर दी गई। जिसके विरुद्ध याचिकाकर्ता संतोष अग्रवाल द्वारा अपने अधिवक्ता आशुतोष मिश्रा के माध्यम से उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के समस्त याचिका प्रस्तुत किया गया।जिस पर मुख्य न्यायाधीश की युगल पीठ आगामी आदेश सुनवाई तक रोक लगाए हैं। वहीं, नगर पंचायत अधिकारी घरघोड़ा को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया। प्रकरण में जवाब प्रस्तुत करने के बाद दिनांक 13.11.2025 को सुनवाई की गई जिसमें याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा प्रकरण के विभिन्न तथ्यों पर अपने तर्क प्रस्तुत किए एवं नगर पंचायत घरघोड़ा की दुर्भावनापूर्वक कार्यप्रणाली पर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया। उच्च न्यायालय की युगलपीठ मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायाधीश बी डी गुरु ने सुनवाई करते हुए नगर पंचायत अधिकारी के कृत्य को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत पाते हुए जारी टेंडर को निरस्त कर, नगर पंचायत को विधि अनुरूप प्रक्रिया करने हेतु निर्देशित किया एवं याचिकाकर्ता को बड़ी राहत प्रदान की हैं।
लाभ दिलाने अजब गजब कारनामे का खेल
इस टेंडर को लेकर कई तरह की चर्चाओं का दौर शुरुआत से ही चल रहा है। जिसमे जिस कार्य को लेकर टेंडर निकाली गई थी वह कार्य पूर्व में स्थानीय ठेकेदार को मिला था, जिसके द्वारा नगर के रोड को बनाया गया था, लेकिन वार्ड वासियों के घटिया सड़क निर्माण की आपत्ति दर्ज कराई गई, काफी हंगामा मचा और जांच दल ने कार्य की गुणवत्ता को अमानक बताया। इस रिपोर्ट के बाद नगर पंचायत ने इसे तोड़ने का आदेश दी।लेकिन यह अब तक नही हो पाया और उसी ठेकेदार को लाभ दिलाने निविदा की प्रक्रिया को बाइपास किया जा रहा था। इस अजब गजब खेल पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पूर्व में भी कई प्रकरण में सुर्खियों में रहा है नगर पंचायत
नगर पंचायत घरघोड़ा लंबे समय से अपने कार्यो को लेकर सुर्खियों में रहा है। यह सुर्खियां केवल पंचायत अपने कार्यों के गफलत को लेकर था चुकि इस बार इससे आगे बढ़ते हुए नगर पंचायत का मामला टेंडर निरस्तीकरण में आ गया। इससे पहले शासन स्तर से भी कई तरह के भ्रष्टाचार पर सीधे तौर पर कार्रवाई की गई है। जिसमें एक साथ तत्कालीन सीएमओ एवं कई अभियंता को निलंबित भी किया था, यह पहला मामला था जब किसी पंचयात में इस तरह इतनी बड़ी कार्रवाई हुई थी। फिलहाल अब कोर्ट के आदेश से अधिकारी व कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।










