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Friday, December 5, 2025

विधानसभा में अनुपूरक अनुदान मांगों पर विधायक उमेश पटेल ने बताया सरकार का कुशासन

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कानून व्यवस्था सहित विभिन्न मुद्दों पर किया जमकर प्रहार

रायपुर/19 दिसंबर 2024/विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान 17 दिसंबर 2024 को सरकार के वित्तीय वर्ष 2024-25 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान की अनुदान मांगों पर चर्चा में विपक्ष की ओर से प्रथम वक्ता के रूप में खरसिया विधायक उमेश पटेल ने विष्णु देव सरकार के एक वर्ष के कुशासन पर जमकर प्रहार करते हुए विभिन्न असफलताओं को सदन में बताया। विधायक उमेश पटेल ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी तो एक नारा दिया गया था। छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरवा, बारी को तब के हमारे विपक्ष के साथियों द्वारा और नारों की तरह मॉक किया जाता था लेकिन जबसे भाजपा की सरकार बनी है तो कानून व्यवस्था के नाम पर विष्णु सरकार की चार चिन्हारी है। जिसमें पहली चिन्हारी बलौदा बाजार की घटना, दूसरी चिन्हारी बलरामपुर की घटना, तीसरी चिन्हारी सूरजपुर की घटना और चौथी चिन्हारी कवर्धा की घटना है। विधायक पटेल ने आगे कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि कलेक्टर एस.पी. आफिस को जला दिया गया जो सरकार के लिए शर्मशार की घटना है। कलेक्टर और एस.पी. आफिस को जला देना एक संदेश है कि शासन के उपर लोगों का विश्वास खत्म हो गया है। बलराम की घटना में एक एडिशनल एस.पी. रैंक के अधिकारी को महिलाएं चप्पल से मार रही है, उस पर पत्थर फेंक रही है और वह जूझ रही है। छत्तीसगढ़ में इस तरह की पहली घटना हुई है कि लोग किसी अधिकारी को मार रहे हैं। इसी तहर सूरजपुर में एक एस.डी.एम. भाग रहा है और लोग उसको मारने के लिए दौड़ा रहे हैं। यह भी छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली घटना है। कुशासन का अगला चिन्हारी कवर्धा है जहां का हाल बेहाल हैं जहां कितनी सारी घटना हो चुकी है। एक आदमी को जिंदा जला दिया गया। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह भी पहली घटना है कि किसी व्यक्ति को जिंदा जला दिया गया। आदिवासियों की हत्या कर दी जाती है। एक मां बेटी की हत्या जो जाती है और तो और थाना के सामने बज रहे डी.जे. को पुलिस द्वारा बंद करवाने पर वहां के टी.आई. और सिपाही को लाईन अटैच कर दिया जाता है। विधायक पटेल ने कहा कि इस कानून व्यवस्था पर इस प्रकार के घटनाओं से चार चिन्हारी के रूप में सरकार की एक साल की कुशासन की उपलब्धि है। विधानसभा में अनुदान मांगो पर चर्चा रहा था और अधिकारी दीर्घा से अधिकारी नदारद थे इस पर विधायक पटेल ने कहा कि यदि सदन में अधिकारियों को आवश्यकता नही है तो अधिकारी दीर्घा हटवा दीजिए और इस पर माननीय अध्यक्ष से व्यवस्था की मांग की। इस पर सदन में गहमा गहमी हो गई और अंत में माननीय अध्यक्ष को अधिकारियों की उपस्थिति का व्यवस्था देना पड़ा तब जाकर सदन की कार्यवाही आगे बढ़ी। चर्चा के दौरान विधायक पटेल ने आगे कहा कि भाजपा सरकार दमनकारी नीति चल रहा है जिसके कारण कई प्रकार की घटनाएं हो रही है सारंगढ़ विधानसभा में विधायक पति के खिलाफ गलत ढ़ंग से एफ.आइ.आर. हो जाता है और इसी दमनकारी नीति के तहत छत्तीसगढ़ के लिए धान खरीदी बहुत महत्वपूर्ण कार्य है जिसमें प्रदेश के राईस मिलर्स भी महत्वपूर्ण रोल प्ले करते हैं परन्तु उनके मिलों को सील किया जा रहा है। डराया धमकाया जा रहा है और उनके हड़ताल को तो दबावपूर्वक बंद कराया जा रहा है यह सरकार के दमनकारी नीति का उदाहरण है। जिससे विधायक पटेल ने आशंका जताया कि इस प्रकार की कार्यवाही राईस मिलरों के खिलाफ किया जाएगा तो मिलर क्षमता से कम डी.ओ. कटवाएंगे और धान का उठाव कम होगा जिससे सोसायटियों में धान जाम हो जाएगा फिर धान खरीदी का कार्य बहुत मुश्किल हो जाएगा। आगे कहा के राईसमिलरों के साथ सरकार को चाहे वह मुख्यमंत्री हो यह विभागीय मंत्री हो उनके साथ बैठकर बीच का रास्ता निकालना चाहिए जिससे राईस मिलरों को किसानों को और अन्य लोंगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। अनुदान मांगों की चर्चा के दौरान आगे कहा कि प्रदेश में रेत उत्खनन का हाल बेहाल है। सरकार द्वारा इसी विधानसभा में प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों के लिए मुफ्त में रेत देने का घोषणा किया गया था परन्तु हाल यह है कि उस घोषणा को आज तक सरकार द्वारा पूरा नही किया गया है और प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही मुफ्त में रेत पाने की आस लगाए बैठे हुए हैं। अवैध रेत उत्खनन से प्रदेश का हाल बेहाल है।अपने क्षेत्र के एक अनाधिकृत रेत घाट लेबड़ा का उदाहरण देकर बताया कि वहां रोज सैकड़ो ट्रेक्टर अवैध रेत उत्खनन करते हैं जिससे आसपास के गांवों को ट्रेक्टरों के आवक जावक से दुर्घटना का डर बना रहता है जिसकी शिकायत क्षेत्र के गांव के लोग माईनिंग विभाग, एस.डी.एम. से लेकर कलेक्टर तक किए परन्तु कुछ कार्यवाही नही हुआ। लोंगो का जो डर था वह हो भी गया एक आदिवासी लड़के की मृत्यु रेत उत्खनन करने वाले ट्रेक्टर से हो गया इसके बावजूद भी उत्खनन किसके शह पर हो रहा है यह प्रश्न चिन्ह है। इस प्रकार विधायक पटेल ने सरकार के एक साल के कुशासन को बताया। चाहे वह कानून व्यवस्था, धान खरीदी, अवैध रेत उत्खनन सहित प्रदेश के विभिन्न मुद्दों के माध्यम से सरकार को घेरा। सदन में गहमा-गहमी का माहौल रहा परन्तु विधायक पटेल ने अपने तार्किक उद्बोधन में सरकार की विफलताओं को गिनाया।

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